चीन में मस्जिद को तोड़कर बनाया गया शौचालय


चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार करके उनका अस्तित्व मिटाने का सिलसिला कोरोना महामारी में भी जारी है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार, चीन के इस प्रांत में उइगर मुस्लिमों के एक मस्जिद को ढहाने के बाद अब उस जगह पर सार्वजनिक शौचालय बना दिया गया है।



रेडियो फ्री एशिया की रिपोर्ट बताती है कि सरकारी प्रशासन की तरफ से आतुश के सुंगाग गाँव में 2016 के दौरान दो मस्जिदों को गिरा दिया गया था और अब इनकी जगह सार्वजनिक शौचालय बना दिया गया है। जिसे चीन द्वारा “मस्जिद सुधार (Mosque Rectification)” का नाम दिया गया।



सुंगाग से Uyghur Neighborhood Committee के चीफ ने आरएफए को बताया कि टोकूल मस्जिद को ध्वस्त किया गया था। इसके बाद इस जगह पर चीनियों ने शौचालय बनवा दिया। वे कहते हैं, “ये सार्वजनिक शौचालय है… उन्होंने अभी इसे खोला नहीं है, लेकिन यह निर्मित हो चुका है।”



ट्विटर पर ट्रेंड होते इस ट्विटर पर लोगों की प्रतिक्रियां भारत में सेकुलरिज्म के नाम पर हो रहे नंगे नाच और उसको मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार का नाम देकर यूनाइटेड नेशन्स तक उछालने वाला पाकिस्तान द्वारा चुप्पी साधने पर कटाक्ष किये गए हैं। चीन के विरुद्ध अगर पाकिस्तान अपना मुंह खोलता है, उसी दिन इसको मुस्लिम देशों के अलावा कोई घास तक नहीं डालने वाला। कुछ मुस्लिम देशों के अलावा चीन ही है जो पाकिस्तान को वेंटीलेटर पर जीवित रखे हुए है। चीन द्वारा पाकिस्तान का लालन-पालन करने के ही कारण भारतीय मुस्लिम भी चीन के विरुद्ध अपना मुंह नहीं खोल पा रहे।



जब उनसे पूछा गया कि क्या वहाँ लोगों को सार्वजनिक शौचालय की आवश्यकता थी। तो उन्होंने बताया, “लोगों के घरों में शौचालय बने हुए हैं। तो ऐसी कोई परेशानी नहीं है।”
उनका कहना है कि उस जगह कोई पर्यटक भी नहीं जाते। चीन ने केवल ध्वस्त किए गए टोकूल मस्जिद के खंडहर को छिपाने के लिए और वहाँ निरीक्षण के लिए जाने वाले समूहों के लिए टॉयलेट बनवाया है।
एक अन्य निवासी ने आरएफए को बताया कि वहाँ दो अन्य मस्जिदें थी, जिन्हें 2019 में गिरा दिया गया और उनकी जगह पर अब एक दुकान खोली गई है, जिसमें शराब और सिगरेट मिलती है, जिनका सेवन करना इस्लाम में हराम माना जाता है।
RFA के मुताबिक राष्ट्रपति शी जिनपिंग के Mosque Rectification अभियान के तहत प्रांत की 70 प्रतिशत मस्जिदें ढहा दी गई हैं। इसके पीछे सामाजिक सुरक्षा को कारण बताया गया है।
चीन में मुस्लिमों पर अत्याचार का सिलसिला काफी समय से चल रहा है। उनके ख़िलाफ़, उनकी संस्कृति के ख़िलाफ़, चीनी अधिकारी उनको आए दिन यातनाएँ देते हैं। कभी खबर आती है कि वहाँ पर उइगर मुस्लिम महिलाओं का रेप और गर्भपात धड़ल्ले से हो रहा है। तो कभी ये पता चलता है कि वहाँ घरों के इंफ्रास्ट्रक्चर को बदला जा रहा है। अभी पिछले दिनों रोजे के बीच ये खबर आई थी कि चीन ने रमजान में रोजा रखने को भी अतिवाद का चेहरा बता दिया है।
यदि धार्मिक स्थलों पर हमले की बात करें, तो चीन में मुख्यत: ये सिलसिला 17वीं शताब्दी से शुरू हुआ था। करीब एक हजार वर्ष पहले चीन में तंग वंश ने मस्जिदों पर हमला बोला था। इसके बाद से यह सिलसिला अब तक जारी है। चीन की 1966-76 की सांस्कृतिक क्रांति की राजनीतिक उथल-पुथल के दौरान इस प्रांत की कई मस्जिदें और अन्य धार्मिक स्थल बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे।
इससे पहले पिछले साल वाशिंगटन स्थित उइगर ह्यूमन राइट्स प्रोजेक्ट (UHRP) ने चीनी सरकार के इस अभियान का विवरण देते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें बताया गया था कि कैसे उइगर मुस्लिमों के धार्मिक स्थलों और कब्रिस्तानों को तोड़ा जा रह है। जियोलोकेशन और अन्य तकनीकों का उपयोग करते हुए इस रिपोर्ट में बताया गया था कि 2016 से लेकर 2019 के बीच वहाँ 10 से 15 हजार मुस्लिमों धर्मस्थलों, मस्जिदों को तोड़ा गया था।


सभार राजेंद्र निगम